“घमंड में नहीं चलेगी ड्यूटी!” – गोवा के स्वास्थ्य मंत्री ने मरीज की अनदेखी पर डॉक्टर को किया सस्पेंड

गोवा से सामने आई एक चौंकाने वाली घटना ने मेडिकल पेशे और सरकारी जिम्मेदारी के बीच संतुलन पर बहस छेड़ दी है। गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने एक सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड कर दिया।
मामला तब सामने आया जब एक गंभीर मरीज को इलाज की ज़रूरत थी लेकिन अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने न सिर्फ लापरवाही बरती, बल्कि ‘घमंड भरे बर्ताव’ से मरीज और उसके परिजनों को अपमानित भी किया।

जैसे ही यह बात मंत्री तक पहुंची, उन्होंने बिना देर किए खुद अस्पताल पहुंचकर मौके का जायज़ा लिया और फिर वही लिया जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया — डॉक्टर को सस्पेंड करने का फैसला।

स्वास्थ्य मंत्री राणे ने बयान दिया,

“जब कोई डॉक्टर मरीज को इंसान की तरह नहीं, अहंकार में बात करता है, तो यह न केवल नैतिकता के खिलाफ है बल्कि मानवता के भी। मैंने जो किया वो मरीज के अधिकारों की रक्षा के लिए किया।”

“घमंड नहीं, सेवा जरूरी है” — मंत्री का सख्त संदेश

विश्वजीत राणे ने इस फैसले के पीछे का कारण साफ किया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक डॉक्टर को सज़ा देने का मामला नहीं, बल्कि एक उदाहरण है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न कि डॉक्टर के मूड या अहंकार को।
उन्होंने आगे कहा:

“मैं माफी नहीं मांगूंगा। मैंने वो किया जो एक मंत्री और इंसान होने के नाते मेरा कर्तव्य था। अगर किसी मरीज को अनदेखा किया जाता है, तो चुप नहीं बैठा जा सकता।”

डॉक्टर का रवैया न केवल गैर-पेशेवर था, बल्कि मरीज की जान को खतरे में डालने वाला भी माना गया। ऐसे में मंत्री की तुरंत कार्रवाई को कई लोग साहसिक कदम बता रहे हैं।

सामाजिक मीडिया पर बहस तेज — सही किया या तानाशाही?

इस पूरे घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस शुरू हो गई है।
कुछ लोगों का मानना है कि मंत्री ने बिल्कुल सही कदम उठाया —

“अब ऐसे घमंडी डॉक्टरों को सबक मिलेगा।”
वहीं दूसरी तरफ कुछ यूज़र्स का तर्क है:
“मामले की जांच के बिना किसी को सस्पेंड करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। मंत्री ने पब्लिक पावर का दिखावा किया।”

स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कई विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही मंत्री का इरादा सही हो, लेकिन किसी भी फैसले से पहले फेयर इनक्वायरी ज़रूरी होती है, ताकि प्रशासनिक शक्ति का दुरुपयोग न हो।

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