मुंबई में भाषा विवाद: डिलीवरी बॉय को मराठी न बोलने पर पैसे से इनकार

मुंबई, महाराष्ट्र की आर्थिक राजधानी, एक बार फिर भाषा विवाद के कारण सुर्खियों में है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने इस मुद्दे को और हवा दे दी है। इस वीडियो में एक कस्टमर ने डोमिनोज़ पिज्जा के डिलीवरी बॉय रोहित लेवरे से सिर्फ इसलिए पिज्जा के पैसे देने से इनकार कर दिया क्योंकि वह मराठी नहीं बोल पाया। यह घटना मुंबई के भांडुप इलाके में साईं राधे बिल्डिंग में सोमवार रात को हुई। इस घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उकसाई हैं, जहां लोग डिलीवरी बॉय के साथ हुए दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा कर रहे हैं।

वायरल वीडियो ने बटोरी सुर्खियां
वायरल वीडियो, जो एक मिनट चार सेकेंड का है, में कस्टमर डिलीवरी बॉय से कहता है, “पैसे चाहिए तो मराठी बोलनी पड़ेगी।” जब रोहित इसका विरोध करता है, तो कस्टमर ऑर्डर को खराब बताकर पैसे देने से मना कर देता है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है और लोग इसे शेयर कर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर मुंबई में हिंदी भाषियों के साथ भेदभाव और भाषा आधारित विवादों को उजागर किया है।

सोशल मीडिया पर गुस्सा और आलोचना
सोशल मीडिया पर इस घटना के खिलाफ लोगों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है। यूजर्स ने कस्टमर के व्यवहार को अमानवीय और शर्मनाक बताया है। एक यूजर ने लिखा, “इन्हें नहीं पता कि एक गरीब इंसान दो रुपये कमाने के लिए कितनी मेहनत करता है।” कई लोगों ने इस तरह के व्यवहार को सामाजिक एकता के लिए खतरा बताया है। इस घटना ने न केवल भाषा विवाद को हवा दी है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि क्या भाषा को आधार बनाकर किसी के साथ भेदभाव करना उचित है।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे विवाद
यह कोई पहली घटना नहीं है जब मुंबई में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर विवाद हुआ हो। इससे पहले, राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने मराठी न बोलने वाले हिंदी भाषियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई की थी। उस दौरान मनसे कार्यकर्ताओं ने कुछ हिंदी भाषियों की पिटाई भी की थी। इस तरह की घटनाओं पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ा रुख अपनाया था। उन्होंने कहा था कि मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए, लेकिन मुंबई और महाराष्ट्र में गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने ऐसी हरकतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी।

पुलिस की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस ताजा घटना के बाद भांडुप पुलिस ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लोग पुलिस से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। सोशल मीडिया पर लोग इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि भाषा के नाम पर किसी भी तरह का भेदभाव अस्वीकार्य है।

आगे क्या?
मुंबई जैसे महानगर में, जहां देश के हर कोने से लोग आकर बसते हैं, भाषा विवाद का बार-बार सामने आना चिंता का विषय है। यह घटना न केवल सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करती है, बल्कि शहर की छवि को भी नुकसान पहुंचाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के विवादों को सुलझाने के लिए जागरूकता और संवाद की जरूरत है। साथ ही, कानून को अपना काम करना चाहिए ताकि कोई भी भाषा के नाम पर भेदभाव न कर सके। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां भाषा जोड़ने का काम करे, न कि तोड़ने का।

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