बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक पार्टियों ने अपनी तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। इसी कड़ी में पटना स्थित राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रदेश कार्यालय में महागठबंधन के प्रमुख नेताओं की एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक को आगामी चुनावों की रणनीति तय करने के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कौन-कौन शामिल हुए बैठक में?
महागठबंधन की इस बैठक में RJD के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह, भाकपा-माले, हम (सेक्युलर), और अन्य सहयोगी दलों के नेता मौजूद रहे। बैठक में सभी दलों ने एकजुटता दिखाते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि विपक्ष एकजुट है और सत्ता परिवर्तन का मन बना चुका है।
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क्या रहा बैठक का एजेंडा?
बैठक का मुख्य उद्देश्य था
सीट बंटवारे को लेकर प्रारंभिक चर्चा
संयुक्त रैलियों की योजना बनाना
युवा और किसान वर्ग को साधने की रणनीति
एनडीए सरकार के खिलाफ साझा प्रचार अभियान की रूपरेखा
सोशल मीडिया और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना
तेजस्वी यादव ने बैठक के दौरान कहा बिहार के युवाओं, किसानों और मजदूरों की समस्याओं को लेकर हम एकजुट होकर मैदान में उतरेंगे। यह चुनाव न्याय, विकास और सामाजिक समरसता के मुद्दों पर लड़ा जाएगा।
भाजपा-जेडीयू पर तीखा हमला
बैठक के बाद प्रेस को संबोधित करते हुए महागठबंधन नेताओं ने वर्तमान एनडीए सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है, लेकिन सरकार सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है।
कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह ने कहा भाजपा और नीतीश कुमार की सरकार ने जनता को सिर्फ वादों में उलझाकर रखा है। महागठबंधन अब विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता है।
रणनीति में युवाओं और महिलाओं पर विशेष ध्यान
महागठबंधन की रणनीति में इस बार युवा, महिला और पिछड़े वर्ग पर खास फोकस रहेगा। सूत्रों के मुताबिक, आने वाले महीनों में इन वर्गों को ध्यान में रखते हुए नीतिगत घोषणाएं और विशेष अभियान चलाए जाएंगे। तेजस्वी यादव ने इशारा किया कि अगर महागठबंधन सत्ता में आता है, तो बेरोजगारी भत्ता, मुफ्त शिक्षा और महिला सुरक्षा” को प्राथमिकता दी जाएगी।
क्या कहता है पिछला अनुभव?
पिछले विधानसभा चुनाव (2020) में महागठबंधन ने भाजपा-जेडीयू गठबंधन को कड़ी टक्कर दी थी। RJD सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन कुछ सीटों पर नुकसान के चलते सत्ता में नहीं आ पाई। इस बार महागठबंधन किसी भी वोट कटवा या अंतिम समय के समीकरण बदलने जैसे जोखिम से बचना चाहता है।
सोशल मीडिया पर भी रणनीति
महागठबंधन की बैठक में यह भी तय किया गया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ज्यादा आक्रामक रणनीति अपनाई जाएगी। युवा मतदाताओं तक पहुंचने के लिए वीडियो कंटेंट, लाइव सेशन, और डिजिटल रैलियों की योजना बनाई जा रही है।
पटना में हुई यह बैठक सिर्फ एक राजनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि 2025 के चुनावी रण की शुरुआत का संकेत है। एक तरफ सत्ता में मौजूद एनडीए सरकार को अपनी योजनाओं और विकास कार्यों को लेकर जनता को फिर से भरोसे में लेना है, तो दूसरी ओर महागठबंधन अब पहले से अधिक संगठित, अनुभव से समृद्ध और आक्रामक मुद्रा में नजर आ रहा है।आने वाले दिनों में राजनीतिक सरगर्मी और तेज़ होगी, लेकिन इतना तय है कि बिहार की राजनीति में अगला साल बेहद दिलचस्प होने वाला है। अब देखना ये होगा कि महागठबंधन अपनी एकजुटता को कितनी दूर तक कायम रख पाता है और क्या वो बिहार की जनता का भरोसा जीतकर सत्ता में वापसी कर पाएगा।
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