बिहार की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त हलचल मची हुई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आज यानी 15 अप्रैल को दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात करने वाले हैं। इस मुलाकात को भले ही “औपचारिक” बताया जा रहा हो, लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ को लेकर बिहार में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। खासकर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर महागठबंधन में चल रही खींचतान एक बार फिर सतह पर आ गई है।
जेडीयू ने दी कांग्रेस को चुनौती
तेजस्वी यादव की इस मुलाकात से पहले ही जेडीयू ने कांग्रेस को सीधी चुनौती दे दी है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा:
“अगर हिम्मत है तो कांग्रेस आज ही तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करे।”
नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव को “दागदार नेता” बताते हुए कहा कि कांग्रेस जैसे ऐतिहासिक पार्टी को उनके सामने आत्मसमर्पण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की नजर तेजस्वी पर है और यदि बिहार में कोई “हेर-फेर” हुआ तो कानून अपना काम करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए में नेतृत्व को लेकर कोई भ्रम नहीं है — नीतीश कुमार ही 2025 और 2030 के लिए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। उनका नारा था:
“नीतीश हैं तो निश्चिंत हैं।”
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आरजेडी का पलटवार
जेडीयू की इस चुनौती का जवाब देते हुए आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा:
“बीजेपी में हिम्मत है तो नीतीश कुमार को आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित करे। यह कहने से काम नहीं चलेगा कि नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा, उसे घोषित करके दिखाएं।”
मृत्युंजय तिवारी ने बीजेपी को यह चुनौती भी दी कि वह हरियाणा के मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए उस बयान का खंडन करे, जिसमें उन्होंने कहा था कि बिहार में सम्राट चौधरी के नेतृत्व में विजय का झंडा फहराया जाएगा।
उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव की मुख्यमंत्री उम्मीदवारी पर कांग्रेस आलाकमान की सहमति मिल चुकी है। राहुल गांधी और तेजस्वी की मुलाकात महागठबंधन को और मजबूती देगी।
महागठबंधन में असमंजस बरकरार
गौरतलब है कि आरजेडी पहले ही तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, लेकिन कांग्रेस ने अब तक इसे औपचारिक रूप से मंजूरी नहीं दी है। यही वजह है कि तेजस्वी और कांग्रेस आलाकमान के बीच होने वाली बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, इस मुलाकात में दो बड़े मुद्दों पर चर्चा होना तय है:
- सीट बंटवारे को लेकर आपसी सहमति बनाना
- मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर अंतिम राय बनाना
यदि इस बैठक में तेजस्वी यादव की दावेदारी पर कांग्रेस की मुहर लगती है, तो यह महागठबंधन के लिए एक बड़ी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जाएगा।
बीजेपी और जेडीयू के रिश्तों पर आरजेडी का तंज
आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में एनडीए डूबता हुआ जहाज है। जेडीयू और बीजेपी के रिश्तों में दरार है और गठबंधन कभी भी टूट सकता है। उन्होंने तंज कसा कि नीतीश कुमार को यह अंदाजा हो चुका है कि अगर बीजेपी से टकराव हुआ, तो उनकी हालत भी महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जैसी हो सकती है।
तेजस्वी यादव की कांग्रेस नेताओं से दिल्ली में हो रही बैठक ने बिहार की सियासत में गर्मी ला दी है। मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर महागठबंधन में असमंजस अब भी बना हुआ है। जेडीयू की चुनौती और आरजेडी का पलटवार इस बात का संकेत है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे में अभी भी बहुत कुछ तय होना बाकी है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस तेजस्वी यादव की दावेदारी को खुले तौर पर समर्थन देती है या फिर महागठबंधन में कोई नया समीकरण सामने आता है।
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