जम्मू-कश्मीर के शांत और सुरम्य पहलगाम में हुआ ताजा आतंकी हमला न सिर्फ मानवता के खिलाफ एक जघन्य अपराध है, बल्कि यह भारत की पर्यटन, शांति और अंतरराष्ट्रीय छवि पर एक सुनियोजित वार भी है। इस हमले में अब तक कुल 26 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल हैं—एक संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और दूसरा नेपाल से था।
इंसानियत को झकझोर देने वाली कहानी
इस हमले की सबसे मार्मिक कहानी है कर्नाटक से आए एक पर्यटक परिवार की। मंजूनाथ राव, जो पहली बार अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने आए थे, आतंकियों का शिकार बन गए। उनकी पत्नी पल्लवी राव ने एक टीवी चैनल को दिए बयान में बताया कि किस तरह आतंकवादियों ने उनके पति को उन्हीं के सामने गोलियों से छलनी कर दिया।
जब पल्लवी ने आतंकियों से कहा कि “मुझे और मेरे बच्चों को भी मार दो,” तो आतंकियों ने जवाब दिया—”जाओ, मोदी को बताओ।” इस एक वाक्य ने इस हमले के पीछे की नीयत को पूरी तरह उजागर कर दिया: यह हमला सिर्फ खौफ फैलाने के लिए नहीं था, बल्कि एक गहरी राजनीतिक और रणनीतिक मंशा से प्रेरित था।
सिर्फ डर नहीं, रणनीति भी
पल्लवी ने बताया कि आतंकियों ने हमले से पहले पर्यटकों की प्रोफाइलिंग की। मतलब, यह देखा गया कि कौन कहां से है, और फिर चुन-चुनकर टारगेट किया गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि हमला योजनाबद्ध था—यह एक सामान्य आतंकी वारदात नहीं, बल्कि सुनियोजित नरसंहार था।
कर्नाटक के दो नागरिकों की हत्या
मंजूनाथ राव के अलावा, बेंगलुरु के भारत भूषण की भी आतंकियों ने हत्या कर दी। दोनों को लक्ष्य बनाकर मारा गया, जिससे ये साफ हो जाता है कि हमले का उद्देश्य दक्षिण भारत के नागरिकों को निशाना बनाना था—एक तरह से पूरे भारत को संदेश देने की साजिश।
एक परिवार की टूटी हुई उम्मीदें
मंजूनाथ राव ने यह यात्रा अपने बेटे अभिजीत की 12वीं कक्षा की परीक्षा पूरी होने की खुशी में आयोजित की थी। यह यात्रा उनके जीवन की पहली बड़ी पारिवारिक छुट्टी थी, जो अब उनके परिवार के लिए दर्दनाक याद बन चुकी है।
राष्ट्रीय स्तर पर हलचल
हमले की खबर फैलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा अधूरी छोड़कर तुरंत भारत वापसी का निर्णय लिया। उन्होंने इस घटना को ‘कायरतापूर्ण और अमानवीय’ करार दिया और एक उच्च स्तरीय बैठक में हालात की समीक्षा की।
गृह मंत्री अमित शाह भी तत्परता दिखाते हुए जम्मू-कश्मीर पहुंचे और सुरक्षा बलों तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात का जायजा लिया।
अंतरराष्ट्रीय छवि पर असर
इस हमले में विदेशी नागरिकों की मौत से भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी आंच आई है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का यह चेहरा पूरी दुनिया के सामने एक बार फिर बेनकाब हो गया है।
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। सुरक्षा बलों ने पूरे कश्मीर में तलाशी अभियान तेज कर दिया है और सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
क्या यह पर्यटकों को डराने की साजिश है?
आतंकी हमले के लिए पहलगाम जैसे पर्यटन स्थल का चयन इस ओर इशारा करता है कि आतंकियों का उद्देश्य भारत के पर्यटन को चोट पहुंचाना है। इससे भारत को आर्थिक, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।
संदेश साफ है
यह हमला सिर्फ गोलियों से नहीं, बल्कि एक विचारधारा से किया गया हमला है—एक ऐसी विचारधारा जो भारत की अखंडता, शांति और समरसता को बर्दाश्त नहीं कर सकती।
सरकार को चाहिए कि वह इस हमले की गहराई से जांच कराए और दोषियों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाए। साथ ही, यह भी ज़रूरी है कि जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति के लिए मजबूत रणनीति और ज़मीन पर ठोस कदम उठाए जाएं।
पहलगाम का आतंकी हमला केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है—भारत को और भी सतर्क रहने की। यह वक्त है एकजुटता का, संवेदनशीलता का और साहस के साथ आगे बढ़ने का। भारत आतंकवाद के इस ज़हर को जड़ से खत्म करने में सक्षम है—और करेगा।
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