26/11 मुंबई हमलों का आरोपी तहव्वुर राणा: फांसी का डर और NIA की सख्त पूछताछ

देश को दहला देने वाले 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के एक प्रमुख आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा (Tahawwur Rana) से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की पूछताछ का आज पांचवां दिन है। अमेरिका से प्रत्यर्पित किए गए राणा को अब भारतीय कानूनों और न्यायिक प्रक्रिया की चिंता सताने लगी है। सूत्रों के मुताबिक, उसे उसी अंजाम का डर है जो अजमल कसाब को मिला था – फांसी।

कौन है तहव्वुर राणा?

तहव्वुर राणा पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है, जिसने अमेरिका में मेडिकल क्षेत्र में काम किया। वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर 26/11 हमलों की साजिश में शामिल रहा है। अमेरिका में करीब 16 साल जेल की सजा काटने के बाद उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया।

राणा को सता रहा है फांसी का डर

सूत्रों के अनुसार, राणा NIA की हिरासत में बार-बार यह जानने की कोशिश कर रहा है कि उसके खिलाफ कौन-कौन सी धाराएं लगी हैं और आगे की कानूनी प्रक्रिया कैसी होगी। उसे यह चिंता सताने लगी है कि कहीं भारत में उसे भी कसाब जैसी सजा न मिल जाए। वह जांच अधिकारियों से बार-बार ट्रायल की प्रक्रिया, संभावित सजा और ट्रायल की अवधि को लेकर सवाल कर रहा है।

सरकारी वकीलों से मिली जानकारी

दिल्ली की अदालत के आदेश पर दो सरकारी वकीलों ने तहव्वुर राणा से आधिकारिक तौर पर मुलाकात की। इस दौरान उसे उसके खिलाफ लगे सभी आरोपों और धाराओं की जानकारी दी गई। राणा ने इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से सवाल किए और खुद को बचाने के संभावित रास्तों की जानकारी जुटाने की कोशिश की।

पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहा राणा

जांच एजेंसियों का कहना है कि तहव्वुर राणा अभी शुरुआती पूछताछ में खास सहयोग नहीं कर रहा। जब उससे उसके पारिवारिक और सामाजिक संपर्कों के बारे में पूछा गया, तो उसने गोलमोल जवाब दिए। एजेंसियों को लगता है कि राणा जानबूझकर पूछताछ की प्रक्रिया को लंबा खींचना चाहता है ताकि समय मिल सके और वह किसी तरह कानूनी मदद हासिल कर सके।

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सुरक्षा के मद्देनजर दिल्ली के बाहर नहीं ले जाया गया

फिलहाल सुरक्षा कारणों से राणा को दिल्ली के बाहर किसी स्थान पर नहीं ले जाया गया है, लेकिन एजेंसियों की योजना है कि जल्द ही उसे कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर ले जाया जाए। इसका उद्देश्य अपराध स्थल का नाट्य रूपांतरण (Crime Scene Recreation) कर साक्ष्यों की कड़ियों को जोड़ना है, जिससे साजिश की गहराई को समझा जा सके।

पांच वक्त की नमाज और नियमों के अनुसार भोजन

NIA राणा को नियमों के अनुसार भोजन उपलब्ध करा रही है। उसे पांच वक्त की नमाज पढ़ने की भी अनुमति दी गई है। एजेंसियों का प्रयास है कि कानूनी प्रक्रिया के तहत हर प्रावधान का पालन किया जाए, ताकि राणा की ओर से किसी भी तरह की कानूनी चुनौती न खड़ी की जा सके।

अदालत का अहम टिप्पणी

दिल्ली की एक अदालत ने अपने हालिया आदेश में कहा कि तहव्वुर राणा ने न सिर्फ मुंबई, बल्कि दिल्ली को भी आतंकी हमले का संभावित निशाना बनाया था। अदालत ने यह भी कहा कि राणा की साजिश भारत की सीमाओं के बाहर तक फैली हुई थी और यह एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क का हिस्सा थी।

क्यों है तहव्वुर राणा भारत के लिए अहम?

तहव्वुर राणा को लश्कर-ए-तैयबा और ISI के साथ मिलकर 26/11 मुंबई हमलों की योजना बनाने का मास्टरमाइंड माना जाता है। उसके जरिए भारत को आतंकी नेटवर्क की अंतरराष्ट्रीय जड़ों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है। वह डेविड हेडली का भी करीबी रहा है, जिसने हमलों की रेकी की थी।

26/11 हमला – एक काला दिन

26 नवंबर 2008 को लश्कर के 10 आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जैसे स्थानों को निशाना बनाया। इस हमले में 166 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। पूरी दुनिया ने इस जघन्य हमले की निंदा की थी। एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब को 2012 में फांसी दी गई थी।

तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी और पूछताछ भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम मोड़ है। जहां एक ओर यह न्याय प्रक्रिया का हिस्सा है, वहीं दूसरी ओर यह भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए आतंकी नेटवर्क की गहराई समझने का एक सुनहरा अवसर भी है। आने वाले दिनों में राणा से जुड़ी जानकारी देश की सुरक्षा रणनीति को और मजबूत करने में मदद कर सकती है।

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