बिहार की राजनीति में एक बड़ा मोड़ तब आया जब केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना को लेकर अपना रुख बदल लिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे अपनी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल राजद और उनके पिता लालू प्रसाद यादव की वर्षों पुरानी लड़ाई की जीत बताया।
तेजस्वी यादव ने कहा हमारी पार्टी साल 1996 से जातीय जनगणना की मांग करती आ रही है। लालू जी ने इसके लिए संघर्ष किया और हम लगातार आवाज़ उठाते रहे। आखिरकार केंद्र सरकार को जनता के दबाव और हमारे प्रयासों के आगे झुकना पड़ा। उन्होंने केंद्र सरकार और खासतौर पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि शुरू में बीजेपी इस कदम के खिलाफ थी । लेकिन अब उन्हें बिहार की जनता के सामने झुकना पड़ा है। तेजस्वी ने आगे कहा कि अब अगली जनगणना में जाति आधारित आंकड़े भी दर्ज किए जाएंगे। जिससे सामाजिक न्याय और नीतियों के निर्माण में वास्तविकता का आधार मिलेगा।
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तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसते हुए कहा, जो सरकार कभी जातीय जनगणना को देश तोड़ने वाला कदम बताती थी। वही अब इसे लागू करने जा रही है। यह हमारी विचारधारा की जीत है। बिहार में आगामी चुनावों को देखते हुए यह फैसला और भी अहम माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जातीय जनगणना का मुद्दा एक बार फिर राज्य की सियासत के केंद्र में आ गया है।
जातीय जनगणना को लेकर केंद्र सरकार का यह निर्णय सिर्फ एक सांख्यिकीय बदलाव नहीं है, बल्कि यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम भी माना जा रहा है। अब देखना यह होगा कि आने वाले चुनावों में यह मुद्दा किस तरह राजनीतिक दलों की रणनीति को प्रभावित करता है।
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