महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में जैन समुदाय के लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) द्वारा विले पार्ले क्षेत्र में स्थित एक जैन मंदिर को ध्वस्त किए जाने के खिलाफ किया गया। इस कार्रवाई के बाद जैन समाज में भारी रोष है, और उन्होंने इसे धार्मिक आस्था पर हमला बताया है।
क्या है पूरा मामला?
घटना विले पार्ले के पूर्वी इलाके की है, जहां एक जैन मंदिर को कथित तौर पर BMC की ओर से “अवैध निर्माण” बताते हुए गिरा दिया गया। जैन समुदाय का कहना है कि यह मंदिर वर्षों पुराना था और समुदाय की आस्था से जुड़ा हुआ था। उनका आरोप है कि बिना पूर्व सूचना के BMC ने बुलडोजर चलवा दिया और मंदिर को जमींदोज कर दिया।
जैन समाज का आक्रोश
जैन समाज से जुड़े सैकड़ों लोगों ने BMC के खिलाफ प्रदर्शन किया और इस कार्रवाई को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कदम बताया। विरोध में शामिल लोगों ने हाथों में बैनर और पोस्टर लिए “धार्मिक स्थलों की रक्षा करो”, “जैन मंदिर वापस बनाओ” जैसे नारे लगाए।
एक प्रदर्शनकारी ने कहा:
“यह सिर्फ एक इमारत नहीं थी, यह हमारी आत्मा थी। BMC ने हमारी धार्मिक भावनाओं को कुचला है। हम चुप नहीं बैठेंगे।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज़
इस मुद्दे पर राजनीति भी गर्मा गई है। कई विपक्षी नेताओं ने BMC की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण और असंवेदनशील बताया। कुछ नेताओं ने यह भी मांग की है कि इस घटना की न्यायिक जांच करवाई जाए और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो।
वहीं, कुछ नेताओं ने राज्य सरकार पर भी सवाल उठाए कि वह धार्मिक स्थलों की रक्षा में विफल रही है।
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BMC का पक्ष
BMC अधिकारियों का कहना है कि मंदिर का निर्माण अवैध था और यह सार्वजनिक भूमि पर बना हुआ था। पहले ही नोटिस दिया गया था, लेकिन निर्माण कार्य नहीं रोका गया, इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी। अधिकारियों ने यह भी दावा किया कि यह कार्रवाई कानून के दायरे में रहकर की गई है और किसी धर्म विशेष को निशाना नहीं बनाया गया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है। ट्विटर और फेसबुक पर #SaveJainTemple, #BMCProtest जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। बड़ी संख्या में लोग जैन समुदाय के समर्थन में पोस्ट कर रहे हैं और BMC की आलोचना कर रहे हैं।
कई यूज़र्स ने सवाल उठाया कि जब अन्य धर्मों के अवैध ढांचों को भी ‘संवेदनशील’ मानकर नहीं छुआ जाता, तो जैन मंदिर के साथ यह व्यवहार क्यों?
धार्मिक संगठनों की मांग
जैन धर्मगुरुओं और संगठनों ने सरकार से इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की घटनाएं धार्मिक असहिष्णुता को बढ़ावा देती हैं और इससे समुदाय में डर का माहौल बनता है।
उन्होंने मंदिर के पुनर्निर्माण की भी मांग की है और चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
मुंबई में जैन मंदिर को गिराने की घटना ने न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, बल्कि प्रशासनिक कार्रवाई की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जैन समुदाय की नाराजगी और विरोध प्रदर्शनों ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या धार्मिक स्थलों की रक्षा के लिए कोई स्पष्ट और संवेदनशील नीति होनी चाहिए।
सरकार और प्रशासन को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी कार्रवाई से पहले संवाद और संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी जाए, ताकि किसी भी समुदाय की धार्मिक आस्था को ठेस न पहुंचे।
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