जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश की नजरें केंद्र सरकार पर हैं कि पाकिस्तान के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। इस हमले ने एक बार फिर पाकिस्तान की नापाक हरकतों को उजागर किया है, और देशभर में इस हमले की कड़ी निंदा की जा रही है। वहीं, केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के फैसले को लेकर विपक्ष सवाल उठा रहा है, और जेडीयू ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
पुलवामा और उरी जैसे हमलों के बाद, जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने केंद्र सरकार की पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई को लेकर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं। देश भर के नागरिक यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि क्या इस बार पाकिस्तान के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या फिर सिर्फ कड़े बयान जारी किए जाएंगे।
इस हमले के बाद, केंद्रीय सरकार ने यह साफ किया है कि पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पाकिस्तान के आतंकवाद को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की और अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की निंदा की।
जातीय जनगणना पर विपक्ष की आलोचना
वहीं, केंद्र सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराने के फैसले को लेकर विपक्ष ने अपनी आलोचना शुरू कर दी है। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार ने यह कदम असमय उठाया है और इसे आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के मद्देनजर एक राजनीतिक चाल के रूप में देखा जा रहा है।
उसी दौरान, जेडीयू के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता राजीव रंजन ने एबीपी न्यूज से बात करते हुए विपक्ष के सवालों का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को टाइमिंग पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। राजीव रंजन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है और जातीय जनगणना का निर्णय राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित नहीं है।
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बिहार में जातीय सर्वे की अहमियत
राजीव रंजन ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहले ही जातीय सर्वे करवाया था, और यह निर्णय बिहार चुनाव से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि बिहार में जातीय सर्वे करने के बाद, देशभर में जातीय जनगणना के लिए माहौल तैयार हुआ। इसके चलते केंद्र सरकार ने भी जातीय जनगणना का फैसला लिया। राजीव रंजन ने कहा कि नीतीश कुमार का यह कदम सिर्फ बिहार के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए था।
राजीव रंजन ने यह भी बताया कि नीतीश कुमार ने 1994 में संसद में अपने भाषण के दौरान जातीय जनगणना की मांग की थी। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा विभिन्न वर्गों के सशक्तीकरण के लिए काम किया है। इसलिए जातीय जनगणना के मुद्दे पर उनकी सक्रियता को नकारा नहीं जा सकता।
पीएम मोदी का करारा जवाब
राजीव रंजन ने केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में जातीय जनगणना कराने का निर्णय लेकर विपक्ष को करारा जवाब दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब विपक्ष सत्ता में था, तब कभी जातीय जनगणना नहीं कराई गई। विपक्ष सिर्फ इस मुद्दे पर सियासत करता रहा और इसके नाम पर वोट बैंक की राजनीति करता रहा।
जातीय जनगणना और बिहार चुनाव
जातीय जनगणना का मुद्दा बिहार चुनावों के दृष्टिकोण से काफी अहम माना जा रहा है। महागठबंधन ने इस मुद्दे को बिहार चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की योजना बनाई थी। विपक्ष का कहना है कि जातीय जनगणना के जरिए समाज के विभिन्न वर्गों को उनके अधिकार दिलाए जा सकते हैं। वहीं, जेडीयू ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाकर इसे एक बड़ा राजनीतिक कदम माना है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान को लेकर भारत की नीति में कोई नरमी नहीं आई है। वहीं, जातीय जनगणना के मुद्दे पर जेडीयू की प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह कदम सिर्फ बिहार चुनाव से संबंधित नहीं है, बल्कि देशभर के समाज के विभिन्न वर्गों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि केंद्र सरकार पाकिस्तान के खिलाफ आगे क्या कदम उठाती है और जातीय जनगणना के जरिए समाज के विभिन्न वर्गों को कैसे सशक्त किया जाता है।
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