देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद विनय नरवाल को बुधवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। लेकिन इस विदाई का दृश्य ऐसा था । जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। शहीद को मुखाग्नि उनकी बहन और छोटे भाई ने दी, और यह पल पूरे गांव ही नहीं, पूरे देश के लिए एक भावनात्मक संदेश बन गया।
टूटा पूरा परिवार, लेकिन गर्व भी उतना ही बड़ा
विनय नरवाल के शहीद होने की खबर जब गांव पहुंची, तो मातम पसर गया। लेकिन जैसे-जैसे शहीद का पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटकर गांव पहुंचा, लोगों ने ‘भारत माता की जय’ और ‘विनय अमर रहें’ के नारों से स्वागत किया।विनय के पिता पहले ही स्वर्ग सिधार चुके थे, और मां की तबीयत बेहद नाज़ुक थी। ऐसे में परिवार की सबसे बड़ी बेटी और छोटे बेटे ने मिलकर मुखाग्नि दी परंपराओं से परे जाकर, एक नई मिसाल कायम की।
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बहन ने कहा“मैं सिर्फ बहन नहीं, देश की बेटी भी हूँ
मुखाग्नि देने के बाद शहीद की बहन ने कहा विनय सिर्फ मेरा भाई नहीं था, वो देश का बेटा था। आज मैंने उसे नहीं, एक सिपाही को आखिरी सलाम दिया है। अगर जरूरत पड़ी तो मैं भी देश के लिए हर मोर्चे पर तैयार हूं।
गांव में हजारों लोगों की भीड़, आंखें नम – सीना गर्व से चौड़ा
शहीद विनय की अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। युवाओं ने तिरंगा लेकर “शहीद को सलाम” के नारे लगाए। बुज़ुर्गों ने आंखों में आंसू और हाथों में दुआ लिए शहीद को अंतिम विदाई दी।
सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
सेना के जवानों ने सलामी दी, और पूरे सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई। जिला प्रशासन, पुलिस, और कई सामाजिक संगठनों के लोग भी वहां मौजूद थे। गांव में एक स्वर था देश का बेटा अमर हो गया है।शहीद विनय नरवाल की अंतिम यात्रा सिर्फ एक सैनिक की विदाई नहीं थी, बल्कि भारत की बेटियों और बेटों के साहस का प्रतीक बन गई।
इस परिवार ने बता दिया कि जब बात देश की हो, तो हर दर्द छोटा है – और हर आंसू देश के लिए गर्व बन सकता है।
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