PM मोदी और PM ओली की मुलाकात, भारत-नेपाल रिश्तों में आई नई ऊर्जा

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में चल रहे छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के मौके पर भारत और नेपाल के रिश्तों में एक नई शुरुआत होती नजर आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के बीच हुई मुलाकात को सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक बताया जा रहा है।

दोनों देशों के लिए क्यों है ये मुलाकात अहम?

यह मुलाकात केवल एक औपचारिक शिष्टाचार नहीं थी — बल्कि भारत-नेपाल के बीच पिछले कुछ वर्षों से चली आ रही दूरियों को पाटने की एक गंभीर पहल थी। ओली जब से नेपाल की सत्ता में आए हैं, उनके रुख को भारत से ज़्यादा चीन की ओर झुकाव वाला माना गया है। इसका असर दोनों देशों की पारंपरिक दोस्ती पर साफ दिखाई दिया। इसके अलावा, हाल ही में नेपाल में राजतंत्र के समर्थन में हुए प्रदर्शनों को लेकर भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से उंगलियां उठाई गईं। काठमांडू में यह चर्चा ज़ोरों पर थी कि इन विरोधों के पीछे भारत का हाथ हो सकता है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में और खटास आ गई थी।

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ओली और मोदी ने क्या कहा इस मुलाकात पर?

प्रधानमंत्री केपी ओली ने मुलाकात के बाद एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा मेरे प्रिय मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आत्मीय भेंट हुई। हमारी बातचीत अत्यंत सार्थक और सकारात्मक रही। इस सौहार्दपूर्ण मुलाकात पर हर्ष व्यक्त करता हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बैठक को बेहद अहम बताया

बैंकॉक में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ एक सार्थक बैठक हुई। भारत नेपाल के साथ संबंधों को अत्यधिक प्राथमिकता देता है। हमने भारत-नेपाल मैत्री के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, विशेष रूप से ऊर्जा, कनेक्टिविटी, संस्कृति और डिजिटल प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों पर बात की

बिम्सटेक के मंच पर भविष्य की दिशा तय

दोनों नेताओं ने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के कुछ प्रमुख नतीजों पर भी चर्चा की। बिम्सटेक दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया को जोड़ने वाला एक अहम क्षेत्रीय समूह है, और भारत-नेपाल की साझेदारी इसमें स्थायित्व और विकास का संकेत मानी जाती है।

एक नई शुरुआत की उम्मीद

भारत और नेपाल के बीच भूगोल से ज़्यादा भावनात्मक संबंध हैं। राम-जानकी से लेकर रोटी-बेटी के रिश्ते तक — दोनों देशों की साझी विरासत गहरी है। ऐसे में इस मुलाकात को दोस्ती में आई दरार को भरने की शुरुआत माना जा रहा है।अगर यह संवाद आगे भी इसी तरह जारी रहा, तो भारत-नेपाल की मैत्री फिर से पुराने दिनों की तरह मजबूत हो सकती है।

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