PM मोदी की ‘फ्री हैंड’ नीति से पाकिस्तान बौखलाया? अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अकारण गोलीबारी, सेना का करारा जवाब

पाकिस्तान की ओर से एक बार फिर सीमा पर तनाव फैलाने की कोशिश की गई है। मंगलवार रात जम्मू के परगवाल सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अकारण गोलीबारी कर पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। पिछले कुछ दिनों से LOC पर लगातार सीज़फायर तोड़ने की घटनाओं के बाद अब अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी पाकिस्तान की यह हरकत भारत को उकसाने वाली मानी जा रही है। लेकिन इस बार भारतीय सेना और BSF ने जवाब देने में कोई कोताही नहीं बरती — और वह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘फ्री हैंड’ नीति के तहत।

पाकिस्तान की बौखलाहट: डर या रणनीति?

पाकिस्तान की तरफ से ऐसी उकसावे वाली कार्रवाइयाँ कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन इस बार का समय और तरीका अलग है। भारत में राजनीतिक स्थिरता, सशक्त सरकार और मोदी सरकार की स्पष्ट सैन्य नीति ने पाकिस्तान को बैकफुट पर डाल दिया है। अंदरूनी तौर पर आर्थिक बदहाली और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए सीमा पर तनाव पैदा करना एक ‘डाइवर्जन’ रणनीति मानी जा रही है।

‘फ्री हैंड’ का असर: सेना को खुली छूट

प्रधानमंत्री मोदी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा। सेना और सीमा सुरक्षा बल को पूरी स्वतंत्रता दी गई है कि वो वक्त और जगह खुद तय कर जवाब दे सकते हैं। यही कारण है कि इस बार भारतीय जवानों ने पाकिस्तान की गोलीबारी का तीव्र और सटीक जवाब दिया।

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सूत्रों के मुताबिक, भारतीय फोर्सेस ने पाकिस्तान की कई पोस्ट्स को निशाना बनाते हुए भारी नुकसान पहुंचाया है। हालांकि आधिकारिक बयान में विस्तृत जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों की सक्रियता और जवाबी कार्रवाई ने यह दिखा दिया है कि भारत अब किसी भी सूरत में पहले की तरह ‘सहनशील’ नहीं है।

LOC से IB तक: साजिशों की कड़ी?

हाल ही में पाकिस्तान की ओर से LOC पर लगातार सीज़फायर उल्लंघन की घटनाएँ हुईं — पुंछ, राजौरी, और अब जम्मू का परगवाल सेक्टर। यह घटनाएं बताती हैं कि यह कोई अलग-अलग घटनाएं नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या पाकिस्तान भारत की सैन्य और कूटनीतिक शक्ति से घबराया हुआ है?

विशेषज्ञ मानते हैं कि पीएम मोदी की सुरक्षा नीति, विशेषकर उरी और बालाकोट जैसी कार्रवाईयों के बाद, भारत की छवि सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक जवाब देने वाली बन चुकी है। यही छवि पाकिस्तान को असहज कर रही है।

घरेलू मोर्चे पर मोदी की छवि को मजबूती

‘फ्री हैंड’ नीति ने न सिर्फ सेना का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि घरेलू राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी की ‘मजबूत नेता’ की छवि को और बल दिया है। पाकिस्तान की हर हरकत का त्वरित और निर्णायक जवाब देना अब एक ‘नया सामान्य’ बन गया है। यह मोदी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस फॉर टेरर और उकसावे’ की नीति का हिस्सा है।

पाकिस्तान की रणनीति उल्टी पड़ सकती है

पाकिस्तान यह समझने में चूक कर रहा है कि भारत अब 90 के दशक वाला नहीं रहा। हर गोली का जवाब गोली से और हर घुसपैठ की कोशिश का जवाब कार्रवाई से दिया जा रहा है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत अब पाकिस्तान की हर हरकत को बेनकाब करने में माहिर हो चुका है।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर भारत की बढ़ती भूमिका और पाकिस्तान की गिरती छवि ने इस्लामाबाद को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया है।

पाकिस्तान की सीमा पर उकसावे की रणनीति अब न तो भारत को डरा सकती है, न ही दबाव में ला सकती है। प्रधानमंत्री मोदी की स्पष्ट और कठोर नीति के चलते भारतीय सेना को अब न केवल जवाब देने की छूट है, बल्कि यह छूट आक्रामक प्रतिकार की शक्ति में बदल चुकी है।

परगवाल सेक्टर की ताज़ा घटना एक चेतावनी है कि भारत अब चुप नहीं बैठेगा। अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया, तो उसे हर मोर्चे पर भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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