वक्फ कानून के विरोध में हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल के हालात, राज्यपाल और NHRC की सक्रियता बढ़ी

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और मालदा जिलों में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा ने राज्य में कानून-व्यवस्था को गंभीर चुनौती दी है। इस हिंसा में अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हुए हैं। घटनास्थल पर अब राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की टीम पहुंच चुकी है। प्रशासन ने हालात काबू में होने का दावा किया है, लेकिन अब भी हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं।

राज्यपाल का ज़मीनी दौरा और पीड़ितों से संवाद


राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने गुरुवार को मुर्शिदाबाद में हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। उन्होंने हिंसा के दौरान बेघर हुए परिवारों से मुलाकात की और उनकी आपबीती सुनी। विशेष रूप से महिलाओं ने राज्यपाल को अपने संघर्षों के बारे में बताया, जिसे उन्होंने ‘बेहद दुखद’ बताया।

राज्यपाल ने कहा,
“मैं पूरी तरह निष्पक्ष दृष्टिकोण अपनाऊंगा। मैं खुद मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लूंगा और उसके बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचूंगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय बलों की मौजूदगी से अब स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और मांगें


पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने राज्यपाल से मुलाकात कर कुछ महत्वपूर्ण मांगें रखीं। इनमें प्रमुख मांग हिंसा में क्षतिग्रस्त हुए घरों और दुकानों के पुनर्निर्माण की थी। यह मांग मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वीकार कर ली है। इसके अलावा, भाजपा ने राज्य के डीजीपी को भी इस मामले में अवगत कराया।

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सक्रियता


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने हिंसा के मामले में संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को अपनी टीम मालदा और मुर्शिदाबाद भेजी है। टीम वहां पीड़ितों से मिलकर उनकी शिकायतें सुनेगी और तथ्यात्मक जानकारी एकत्र करेगी। इसके आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा। NHRC की यह कार्रवाई केंद्र सरकार की गंभीरता को भी दर्शाती है।

प्रशासनिक कार्रवाई और पुलिस अधिकारियों का तबादला


हिंसा की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रशासनिक सख्ती दिखाते हुए मुर्शिदाबाद जिले के सुती और समसेरगंज थानों के प्रभारी अधिकारियों को हटा दिया है। इन इलाकों में सबसे ज्यादा हिंसा हुई थी और तीन में से दो मौतें समसेरगंज में और एक सुती में हुई थी।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन इलाकों में अब अनुभवी और उच्च पदस्थ अधिकारियों को तैनात किया गया है ताकि आगे किसी भी तरह की चूक से बचा जा सके।

200 से अधिक गिरफ्तारियां, लेकिन माहौल अब भी तनावपूर्ण


राज्य पुलिस ने अब तक इस मामले में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का कहना है कि हिंसा में शामिल लोगों की पहचान सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय इंटेलिजेंस के जरिए की जा रही है। हालांकि गिरफ्तारियों के बावजूद कुछ इलाकों में अब भी तनाव बना हुआ है और सुरक्षाबल लगातार फ्लैग मार्च कर रहे हैं।

वक्फ कानून बना विवाद की जड़


हिंसा की शुरुआत वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर विरोध प्रदर्शन से हुई। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह कानून समुदाय के अधिकारों पर हमला करता है। हालांकि सरकार का कहना है कि यह अधिनियम पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाने के लिए लाया गया है। लेकिन कानून को लेकर फैलाए गए भ्रम और उकसावे की राजनीति ने हालात को विस्फोटक बना दिया।

पश्चिम बंगाल में वक्फ कानून को लेकर भड़की हिंसा ने राज्य की कानून-व्यवस्था को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। हालांकि राज्यपाल, NHRC और प्रशासनिक अमले की सक्रियता ने स्थिति को नियंत्रित करने की दिशा में सकारात्मक संकेत दिए हैं, लेकिन सामाजिक सौहार्द और भरोसे की बहाली के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना होगा। सभी पक्षों को चाहिए कि संवेदनशील मुद्दों पर संयम और समझदारी के साथ आगे बढ़ें।

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