पश्चिम बंगाल इन दिनों वक्फ कानून में बदलाव को लेकर सियासी और सामाजिक उथल-पुथल से गुजर रहा है। बीते सप्ताह बंगाल में इस मुद्दे पर जो हिंसा भड़की, उसने पूरे देश का ध्यान खींचा। 10,000 से ज्यादा लोगों की भीड़, पुलिसकर्मियों पर हमला और एक कांस्टेबल की पिस्तौल तक छीन ली गई। यह मामला अब हाईकोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है।
क्या है वक्फ कानून में विवाद?
वक्फ संपत्ति वो संपत्ति होती है जिसे मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए दान किया गया होता है – जैसे मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसे आदि। हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने वक्फ कानून में कुछ बदलाव किए हैं, जिससे कुछ समुदाय विशेष में नाराजगी देखी जा रही है। सरकार का दावा है कि यह संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए किया गया है, लेकिन विरोधियों का आरोप है कि यह मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाने की कोशिश है।
हिंसा कैसे भड़की?
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि जब यह मामला सामने आया तो विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। एक शहर में जब पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, तो हालात बेकाबू हो गए। लगभग 10,000 की भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। एक कांस्टेबल की सरकारी पिस्तौल भीड़ ने छीन ली, जिससे हालात और तनावपूर्ण हो गए।
हिंसा के दौरान कई सरकारी गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई, और कुछ इलाकों में आगजनी की भी खबरें हैं। पुलिस ने कई उपद्रवियों को हिरासत में लिया है और अब तक दर्जनों केस दर्ज किए जा चुके हैं।
राजनीतिक घमासान भी तेज
इस मुद्दे पर राज्य में सियासत भी गर्मा गई है। विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर कानून-व्यवस्था संभालने में विफल रहने का आरोप लगाया है। वहीं, टीएमसी सरकार का कहना है कि कुछ राजनीतिक ताकतें इस मामले को भड़काने का काम कर रही हैं ताकि राज्य में सांप्रदायिक तनाव फैलाया जा सके।
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बीजेपी नेता और बंगाल के विपक्ष के नेता ने कहा, “राज्य सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है, जिसकी वजह से आज बंगाल जल रहा है।”
इसके जवाब में टीएमसी का कहना है कि “बीजेपी झूठ और अफवाहें फैलाकर माहौल खराब कर रही है।”
कोर्ट की सख्ती और प्रशासन की चुनौती
कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया और सरकार से रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने पूछा है कि अगर इतनी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए तो पुलिस और प्रशासन क्या कर रहे थे? किसने इजाज़त दी इतनी भीड़ जुटाने की?
राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन प्रदर्शन अचानक उग्र हो गया। साथ ही, सरकार ने कुछ कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका की भी जांच की बात कही है।
सामाजिक असर और आने वाले खतरे
इस घटना ने एक बार फिर बंगाल में साम्प्रदायिक तनाव को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही स्थिति को नहीं संभाला गया तो यह आग और फैल सकती है। खासतौर पर लोकसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में किसी भी तरह का धार्मिक विवाद राजनीति को भड़काने का जरिया बन सकता है।
सरकार को अब क्या करना चाहिए?
- वक्फ कानून में हुए संशोधनों को लेकर लोगों को जागरूक किया जाए और संवाद कायम किया जाए।
- हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, चाहे वो किसी भी समुदाय से हों।
- विपक्ष और शासन, दोनों को संयम बरतते हुए इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने से बचना चाहिए।
- कोर्ट की निगरानी में निष्पक्ष जांच कराई जाए।
बंगाल में वक्फ कानून पर शुरू हुआ विवाद अब कानून-व्यवस्था और राजनीति दोनों के लिए चुनौती बन चुका है। जरूरी है कि इस पर ठोस और तटस्थ कदम उठाए जाएं, ताकि लोगों में भरोसा बना रहे और राज्य में शांति कायम की जा सके।
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