वित्त मंत्रालय का बड़ा बयान: ₹2000 के लेन-देन पर नहीं लगेगा GST!

देश के करोड़ों व्यापारियों, दुकानदारों और आम जनता के लिए राहत भरी खबर आई है। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि ₹2000 तक के नकद लेन-देन पर किसी भी प्रकार का वस्तु एवं सेवा कर (GST) नहीं लगाया जाएगा। हाल ही में सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था कि ₹2000 तक के भुगतान पर भी GST लगेगा, जिससे लोगों के बीच भ्रम फैल गया था। इस पर सरकार ने स्थिति साफ करते हुए कहा है कि ऐसी कोई नीति नहीं है और यह खबर पूरी तरह से भ्रामक और असत्य है।

क्या है मामला?

कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हो रही थी कि ₹2000 से ऊपर के हर नकद लेन-देन पर सरकार 18% तक GST लगाने जा रही है। इससे छोटे व्यापारियों और आम उपभोक्ताओं के बीच घबराहट फैल गई थी। खासकर किराना दुकानदार, सब्जी विक्रेता और छोटे कारोबारी इस बात से चिंतित हो गए थे कि अगर रोजमर्रा के सौदों पर टैक्स लगने लगा, तो ग्राहक कम हो जाएंगे और व्यापार प्रभावित होगा।

वित्त मंत्रालय ने इन खबरों का स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि –

“₹2000 तक के किसी भी नकद लेन-देन पर GST लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह पूरी तरह से फर्जी सूचना है जो लोगों को भ्रमित कर रही है।”

नकद लेन-देन और GST का नियम

भारत में GST यानी वस्तु एवं सेवा कर वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री पर लगाया जाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वस्तु/सेवा का प्रकार क्या है, और उसकी आपूर्ति कैसे की जा रही है — न कि इस बात पर कि भुगतान नकद किया गया या डिजिटल माध्यम से।

यानि,

  • अगर आप ₹1000 का मोबाइल खरीदते हैं, और वह वस्तु पर GST लागू है, तो आपको तय दर पर GST देना होगा — चाहे आप नकद दें या ऑनलाइन पेमेंट करें।
  • लेकिन अगर आप किसी वस्तु या सेवा पर GST के दायरे में नहीं आते, तो केवल इसलिए कि आप नकद में ₹2000 दे रहे हैं, आप पर GST नहीं लगेगा।

नकद लेन-देन पर अलग से कोई GST नहीं लगता — यह नियम आज भी वैसा ही है।

किस पर लगता है GST?

GST केवल उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं पर लगता है जो सरकार द्वारा अधिसूचित हैं। इसके अलावा, यदि कोई व्यवसाय ₹40 लाख (सेवा क्षेत्र में ₹20 लाख) की सालाना बिक्री से कम करता है, तो वह GST रजिस्ट्रेशन से छूट पा सकता है। इस लिहाज से छोटे दुकानदारों और व्यापारियों को पहले से ही काफी राहत मिलती रही है।

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डिजिटल भुगतान को लेकर भ्रम

वित्त मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि सरकार नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए GST नहीं लगा रही है। डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक योजनाएं और छूट दी जाती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नकद भुगतान को दंडित किया जाएगा।

दरअसल, सरकार UPI, NEFT, IMPS जैसे माध्यमों को बढ़ावा दे रही है ताकि लेन-देन पारदर्शी हो और कर चोरी पर अंकुश लगे। परंतु ₹2000 तक के नकद भुगतान को लेकर कोई कर दायित्व नहीं जोड़ा गया है।

सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों से सावधान!

वित्त मंत्रालय ने यह भी अपील की है कि लोग सोशल मीडिया पर फैल रही अपुष्ट खबरों पर ध्यान न दें और ऐसी सूचनाओं की पुष्टि केवल सरकारी वेबसाइट या विश्वसनीय समाचार स्रोतों से करें।

मंत्रालय का कहना है कि —

“किसी भी नई कर नीति को लागू करने से पहले संसद में विधेयक पेश किया जाता है, पब्लिक नोटिफिकेशन जारी होता है और व्यावसायिक समुदाय को सूचित किया जाता है। इस तरह की कोई सूचना न तो जारी हुई है और न ही कोई ऐसा प्रस्ताव विचाराधीन है।”

आम जनता को क्या लाभ?

इस स्पष्टीकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि —

  • ₹2000 तक के नकद भुगतान पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा।
  • छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है।
  • सरकार डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा जरूर दे रही है, पर नकद लेन-देन पर प्रतिबंध लगाने की मंशा नहीं है।

वित्त मंत्रालय के इस स्पष्टीकरण ने उन सभी अफवाहों पर विराम लगा दिया है जो हाल के दिनों में आम लोगों के बीच चिंता का कारण बनी हुई थीं। ₹2000 तक के नकद लेन-देन पर GST लगाने की खबरें पूरी तरह गलत हैं और सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी कोई योजना विचाराधीन भी नहीं है। आम जनता और व्यापारी वर्ग को इस खबर से राहत मिली है और अब वे बिना किसी भ्रम के अपना रोजमर्रा का लेन-देन कर सकते हैं।

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