बिहार दौरे पर पहुंचे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से जातिगत जनगणना को लेकर स्पष्ट समयसीमा की मांग की। साथ ही उन्होंने पसमांदा और गैर-पसमांदा मुसलमानों की अलग गणना की वकालत की।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार से सवाल किया है कि देश में जातिगत जनगणना कब कराई जाएगी। हाल ही में केंद्र ने घोषणा की थी कि अगली जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल होंगे। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीमांचल दौरे पर आए ओवैसी ने कहा कि जातिगत जनगणना सामाजिक न्याय और प्रभावी सकारात्मक कार्रवाई के लिए बेहद आवश्यक है।
ओवैसी ने केंद्र सरकार से यह जानना चाहा कि यह प्रक्रिया कब शुरू होगी और कितने समय में पूरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि देश अभी तक 1931 की जातिगत जनगणना के आंकड़ों पर निर्भर है, जिससे निष्पक्ष नीतिगत फैसले नहीं हो पा रहे हैं।
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उन्होंने यह भी कहा कि पसमांदा और गैर-पसमांदा मुसलमानों की अलग-अलग गणना होनी चाहिए ताकि हाशिए पर मौजूद तबकों को लाभ मिल सके। ओवैसी ने जोर देते हुए कहा कि बिना ताजे जातिगत आंकड़ों के सामाजिक कल्याण की योजनाएं प्रभावी नहीं हो सकतीं।
वहीं, पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी इस हमले की कड़ी निंदा करती है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए सरकार को पूरा समर्थन देती है। उन्होंने सरकार से मांग की कि सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं ताकि अपराधी न्याय के कटघरे में लाए जा सकें।
इसके अलावा, हाल ही में संसद से पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम पर ओवैसी ने कहा कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह झूठ फैला रही है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं के लिए लाभकारी है। ओवैसी ने इस कानून के खिलाफ संघर्ष का आह्वान किया।
बता दें कि सीमांचल क्षेत्र, जिसमें पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार जैसे जिले आते हैं, मुस्लिम बहुल इलाका है और ओवैसी की पार्टी यहां अपनी सियासी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है।
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