पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार: राजनीति गरमाई, पर्यावरण बचाने की उठी मांग

हैदराबाद में विश्वविद्यालय के पास बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद सियासत गरमा गई है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर गहरी चिंता जताते हुए कहा कि वह पर्यावरण और पारिस्थितिकी की सुरक्षा के लिए “अपना रास्ता बदलने को भी तैयार है”।

जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने तेलंगाना सरकार से सवाल किया कि आखिर इतनी “जल्दबाज़ी” में पेड़ों को क्यों काटा गया?

क्या है मामला?

यह विवाद हैदराबाद विश्वविद्यालय के बगल में स्थित एक ज़मीन के टुकड़े से जुड़ा है, जहाँ सैकड़ों पेड़ों को काटा गया। बताया जा रहा है कि यह जमीन सरकारी परियोजनाओं के लिए चिन्हित की गई है, लेकिन पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों ने इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने का संकेत दिया, बल्कि तेलंगाना सरकार से पूछा कि आखिर “इतनी हड़बड़ी” क्यों दिखाई जा रही है?

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा:

“हम पर्यावरण की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। अगर अब भी नहीं चेते, तो आने वाली पीढ़ियों को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।”

कोर्ट ने आगे कहा कि केवल विकास के नाम पर पेड़ काटना एक खतरनाक प्रवृत्ति है, और राज्य सरकारों को पर्यावरणीय संतुलन की जिम्मेदारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

राजनीतिक तकरार तेज

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद विपक्षी दलों ने तेलंगाना सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया,

“पर्यावरण कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं, बल्कि हमारी भावी पीढ़ियों का भविष्य है। तेलंगाना सरकार को इसका जवाब देना होगा।”

वहीं बीजेपी की प्रवक्ता शैफाली वर्मा ने कहा,

“पेड़ों की हत्या कर विकास नहीं होता। KCR सरकार ने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाकर अपने असली चेहरे को उजागर किया है।”

तेलंगाना सरकार की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार कोर्ट के निर्देशों का पालन करने को तैयार है।

पर्यावरणविदों की चेतावनी

पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस घटना को “संकेतात्मक” बताते हुए कहा कि यह पूरे देश में चल रही उस प्रवृत्ति को दिखाता है, जहाँ विकास परियोजनाओं के नाम पर हरियाली को नष्ट किया जा रहा है।

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुनीता नारायण ने कहा,

“सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी एक चेतावनी है। पेड़ों को काटना आसान है, लेकिन उस पारिस्थितिक तंत्र को वापस लाना असंभव है।”

जनता की भी प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। ट्विटर पर #SaveHyderabadTrees ट्रेंड कर रहा है। कई छात्रों और स्थानीय संगठनों ने धरना प्रदर्शन की भी योजना बनाई है।

क्यों जरूरी है इस पर ध्यान देना?

भारत पहले से ही जलवायु परिवर्तन, गर्मी की बढ़ती तीव्रता और वायु प्रदूषण जैसे संकटों का सामना कर रहा है। ऐसे में पेड़ों की कटाई न सिर्फ स्थानीय पारिस्थितिकी को प्रभावित करती है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर भी नुकसान पहुंचाती है।

सुप्रीम कोर्ट की यह फटकार न सिर्फ तेलंगाना सरकार के लिए, बल्कि देशभर की सरकारों के लिए एक चेतावनी है। पर्यावरण की रक्षा केवल कानूनों से नहीं, जनजागरूकता और राजनीतिक इच्छाशक्ति से होगी।

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